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एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली/एनसीआर में 2 लाख एवं मुम्बई

एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली/एनसीआर में 2 लाख एवं मुम्बई में 1.71 लाख रिहाईशी घर खाली पड़े हैं और खरीददार की बाट देख रहे हैं। हाउसिंग बैंकों का पसन्दीदा ग्राहक है। तमाम बिल्डर बैंकों के उक्त धन से बने हैं जिस धन को बैंको को कारोबारी क्षेत्र में उधोग धंधो के लिए देना था। बैंकों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं उसका नतीजा लगभग 5 लाख करोड़ रुपये के हाउसिंग प्रोजेक्ट में फंसा हुआ है। सरकार को चाहिए कि अपनी प्राथमिक्ता तय करे। उद्योग धंधा या हाउसिंग?

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